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Monday, August 23, 2010

रक्षाबंधन की शुभकामनाएं



ये डोर युगों से रक्षा का सूत्र रहा है
पहली बार देवराज इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने
श्रावण पूर्णिमा पर बांधी थी ये डोर
जब वो लड़े थे असुरों से
वक्त बदला, बांधने और बंधवाने वाले बदले
पर ये डोर आज भी रक्षा का सूत्र है
बलाओं से बचाता है भाई और बहन को
बनाए रखता है प्रेम के इस अटूट बंधन को
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं