आओ बातें करे

Sunday, July 25, 2010

नियति भी कुछ है

एक डोर
कई गिरहें

सुलझाने की असंख्य कोशिशें

धटता-बढता अधूरापन

मौत का डर

जिंदगी की आस

सपनों की प्यास

ख्वाहिशों की तलाश

हम क्यों भूल जाते हैं

नियति भी कुछ है

इन सब के दरम्यान

3 comments:

Anamikaghatak said...

ati sundar ..........shbda chayan ati sundar

Sunil Kumar said...

सुंदर अभिव्यक्ति ,शुभकामनायें

सुज्ञ said...

स्पष्ठ चिंतन की अभिव्यक्ति !!