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ये डोर युगों से रक्षा का सूत्र रहा है
पहली बार देवराज इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने
श्रावण पूर्णिमा पर बांधी थी ये डोर
जब वो लड़े थे असुरों से
वक्त बदला, बांधने और बंधवाने वाले बदले
पर ये डोर आज भी रक्षा का सूत्र है
बलाओं से बचाता है भाई और बहन को
बनाए रखता है प्रेम के इस अटूट बंधन को
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं