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Thursday, March 17, 2011

वसंत चेहरे से उतर रहा था...


वंसत चेहरे से उतर रहा था
ग्रीष्म आगोश में ले रहा था ...
बारिश तो पहले ही जा चुकी थी
सर्दी की गरमाट भी ठंडी थी
वो लड़की थी
उसका चेहरा बहुत कुछ बता रहा था

कभी लिखी गई होगी कविता
कभी सपनों में रंग भरे गये होंगे
कभी कोई रहा होगा उसका ख्वाब
पर अब
वसंत चेहरे से उतर रहा था...

2 comments:

विधुल्लता said...

badhiyaa kavita aur bhaav

Vibhay Kumar Jha said...

Bahut achha..
Dhanyabad..evam shubhkamnao ke sath..aapka
Vibhay Kumar Jha
www.VKJha.in